Translate

माँ बगलामुखी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
माँ बगलामुखी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 12 अगस्त 2023

बगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा, मध्यप्रदेश

 

महाकाल की नगरी उज्जैन से कुछ घण्टों की दूरी पर बसा आगर मालवा के शुजालपुर जिले में नलखेड़ा धाम माँ बगलामुखी के दिव्य और जागृत मंदिर के लिए सुप्रसिद्ध है।










पौराणिक मान्यता:


सबसे प्रचलित मान्यता द्वापरयुग के समय की बताई जाती है। द्वापरयुग में महाभारत युद्ध के 12वे दिन प्रभु श्री कृष्ण ने युधिष्ठर से आग्रह कर युद्ध मे विजय प्राप्ति के लिए यज्ञ- अनुष्ठान किये थे।  

कुछ और पौराणिक स्तोत्र बगलामुखी माता मंदिर की उतपत्ति ब्रह्माजी द्वारा माता की आराधना से सम्बंधित बताते हैं। माता ने भगवान ब्रह्माजी की आराधना पर इसी स्थान पर दर्शन दिए थे। 


त्रिशक्ति

इन्हें भी देखें:

बनखंडी बगलामुखी मंदिर, कांगड़ा

मंदिर:


यह अष्टम महाविद्या माँ बगलामुखी का सबसे प्राचीन मंदिर है। देवी यहाँ अनंतकाल से निवास कर रही हैं। 

मंदिर लखुंदरी नदी के किनारे बना हुआ है। यहां के निवासी बताते है कि यह मूर्ती स्वयंभू है। मूर्ति की ऊत्तपति का कोई एतिहासिक प्रमाण नहीं है केवल मान्यता यह है के माँ शमशान के मध्य स्वयंभू रूप में प्रकट हुई थी। मूर्ति त्रिशक्ति रूप में विराजित है। मध्य बगलामुखी, दाएं सरस्वती और बाएं माँ लक्ष्मी विराजित है। मंदिर के पीछे की दीवार पर स्वस्तिक बनाने की मान्यता है। ।


माँ बगलामुखी के साथ अन्य देवी-देवता - श्रीकृष्ण-राधाजी, बजरँगबली और माँ बगलामुखी के "भैरव" के मंदिर समाहित विराजे है। 


"मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। आप मंदिर निर्माण कार्य में सहयोग हेतु दान भी कर सकते है।"



मंदिर यज्ञशाला:

 

बगलामुखी माँ के धाम अपनी यज्ञशालाओं के लिए प्रख्यात है। नलखेड़ा धाम में होनेवाले माँ के अनुष्ठान चमत्कारी परिणाम देनेवाले है।  साल के 365 दिन यज्ञ किए जाते है। नलखेड़ा धाम तंत्र साधनाओं के लिए एक विशेष स्थान है। 

◆ माँ के यज्ञ में जो छः षट्कर्म - मारण, मोहन/सम्मोहन, स्तम्भनं, उच्चहाटन और वशीकरण इनमें से यहाँ मारण छोड़ बाकी षट्कर्म किये जाते हैं। 

◆ कांगड़ा मंदिर और पीताम्बरा पीठ में लाल मिर्ची का प्रयोग होता है किंतु यहां अब लाल मिर्च के स्थान और काली मिर्च का प्रयोग होता है। लाल मिर्च से हवन अब विशेष अनुष्ठान की मांग पर किया जाता है।


कैसे पहुँचे:


  सड़क मार्ग से पहुँचने के लिए आगर मालवा रोड से नलखेड़ा पहुंचा जाता है। 

प्राइवेट कैब और टैक्सी की सुविधा भी यहाँ सदैव उपलब्ध रहती है। 

उज्जैन से दूरी 100 किमी, इंदौर से 156 किमी, भोपाल से 182 किमी, और कोटा से 151 किमी दूरी पर स्थित है। 

बस की सुविधा सुबह 7 बजे से शुरू हो जाती है। 

हवाई मार्ग सर सबसे निकटतम हवाई अड्डा इंदौर जा देवी अहिल्याबाई एयरपोर्ट है। दूसरा निकटतम एयरपोर्ट राजा भोज एयरपोर्ट, भोपाल है। 

।। जय माँ बगलामुखी ।। 

🙏🌷🕉️🔱🙏


✒️Swapnil. A


(नोट:- ब्लॉग में अधिकतर तस्वीरें गूगल से निकाली गई हैं।)


अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें :-





शनिवार, 5 अगस्त 2023

बनखंडी बगलामुखी मंदिर, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश

पौराणिक इतिहास:

वनखण्डी कस्बा, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश स्थित माता बगलामुखी धाम का पैराणिक इतिहास सतयुग के समय का है। जब  माता सती स्वयं को अपने पिता दक्ष के यज्ञ में भस्म कर चुकी थी तब महादेव विलाप में समाए हुए के सारे लोकों में उनका शरीर लेके घूम रहे थे तब भगवान नारायण ने देवी सती के अंगों को सुदर्शन चक्र से अलग-अलग अलग कर दिया। इससे माता के अंगों के विभिन्न टुकड़े आर्यव्रत की भूमि पर जा गिरे और यही शक्ति पीठ कह लाये। आ सती के अंगों से बने कुल 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ माता बगलामुखी का कांगड़ा स्थित है। यहाँ माता सती का बाहिना वक्ष गिरा था किंतु यहाँ आज जो देवी को समर्पित मंदिर है, यहां के निवासी बताते है त्रेतायुग से स्थापित है। मंदिर लंकापति रावण द्वारा बनाया गया था क्योंकि वह तांत्रिक अनुष्ठान करता था और माता की उपासना अपने शत्रुओं पर विजय पाने के लिए। बगलामुखी माता लंका में एक दूसरे नाम से भी जानी जाती है। रावण का पुत्र इंद्रजीत भी माँ का उपासक था और लक्ष्मजी को मूर्छित करने में उसकी बगलामुखी उपासना ही थी। 


माँ बगलामुखी मंदिर


बनखंडी बगलामुखी मंदिर:


मंदिर पहाड़ी वास्तुकला में निर्माण किया गया है। मंदिर के अंदर बाहर और ऊपर दीवारों का रंग पीला ही रखा गया है माँ बगलामुखी के सृजन की कथा के अनुसार। माँ का गर्भ ग्रह बहुत छोटा है। इसमें केवल 6 लोग ही एक समय में प्रवेश कर दर्शन पा सकते है। माँ के दाएँ और भगवान शिव और बाएँ ओर श्रीगणेश बैठे हैं। माता की मूर्ति अत्यंत आकर्षक है। माँ सोने के आसन पर विराजी है और माता के तीन नेत्र है। माता सवर्ण के आभूषणों से सजी हुई हैं। मंदिर के बाहर द्वार पर बजरँगबली और भैरव जी की मूर्ति। दोनों देव माता की गुफा की रक्षा कर रहे हैं। यहाँ श्री कृष्ण की मूर्ति भी एक मंदिर में दर्शन किये जा सकते हैं। 


माँ बगलामुखी दर्शन


मंदिर के बाहर बनी भोजशाला में लंगर दोपह 12 से 3 बजे के बीच चलता है। लंगर के प्रशाद में पीली डाल और चावल परोसा जाता है। 


यह रहस्यमयी मंदिर कांगड़ा के इतिहास के सबसे भयानक भूकंप के इतिहास का साक्षी है जब यहां सारे मंदिर कंपन से टूट गए पर बगलामुखी माता का यह शक्तिपीठ ज्यो का त्यों बना रहा। मंदिर में केवल माता की चरण पादुका वाली शिला को कुछ क्षति पहुंची।








इन्हें भी देखें:


मंदिर यज्ञ शाला:


मंदिर के बाहर बनी यज्ञशाला में दिन भर हवन किया जाता है। यहाँ अलग-अलग प्रकार के हवन सम्पन्न किये जाते है। शत्रु पर विजय पाने के लिए, नौकरी पाने के लिए और राजसत्ता में विजय प्राप्ति के लिए यज्ञ किये जाते है। उक्त सारे कार्यों के लिए किए जानेवाले यज्ञ की सामग्री भिन्न होती है। इन यज्ञ में ज़्यादातर उपयोग में आनेवली सामग्री है लाल मिर्च जिसे यज्ञ में बाहिने हाथ को अपने सर पे गोल घुमाके अग्नि कुंड में स्वाहा किया जाता है। 

माँ बगलामुखी को यज्ञ के लिए सबसे ज़्यादा उपयुक्त दिन है शनिवार, रविवार, मंगलवार और ब्रहस्पतिवार है। माँ यहाँ करवाये यज्ञ का फल 36 दिनों में देती है। यज्ञ करवाने की न्यूनतम राशी 3100 रुपये फिर जिस प्रकार का यज्ञ करवाने की इच्छा हो राशी उसी प्रकार रहती है। यज्ञशाला के बाहर लगे टिकट काउंटर पर से टिकट लिया जाता है। यज्ञ की एडवांस बुकिंग वेबसाइट से भी करवाई जा सकती है। 



वनखण्डी महादेव:


मंदिर से नीचे, उतरते समय आप प्राचीन वनखण्डी महादेव मंदिर के दर्शन कर सकेंगे होंगे। मंदिर के अंदर महादेव के सुंदर शिवलिंग के दर्शन होंगे। इस शिवलिंग की देहरा कस्बे में बड़ी मान्यता है। 


बनखण्डेश्वर महादेव


मंदिर दर्शन समय:


खुलने का समय: 5.00 AM

सुबह की आरती: 6.00 AM

भोग प्रशाद: 12.00 PM

मंदिर बंद(भोग का समय): 12.00 PM से 12.30 PM

संध्या आरती और शैय्या: 7.30 PM

मंदिर बंद:9.30 PM


कैसे पहुँचे


हिमांचल प्रदेश में अन्य शक्ति पीठ जैसे नैनादेवी, माँ चिंतपूर्णी और माता ज्वाला देवी सब एक दूसरे से 40 से 200 किमी की दूरी पर बसे हुए हैं। इन सब से राज्य बस परिवहन अच्छे से जुड़ा हुआ है। पड़ोसी राज्य पंजाब, जम्मू और हरियाणा, दिल्ली से बसें लगभग पूरे वर्ष चलती हैं। 


।। जय माँ बगलामुखी ।। 


✒️स्वप्निल. अ


अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें:-





  • https://lakesinhimachal.com/baglamukhi-temple-kangra-a-historical-and-religious-marvel-2/


 

सोमवार, 24 जुलाई 2023

चमत्कारी पीताम्बरा पीठ, दतिया, मध्यप्रदेश

दतिया शहर एक आध्यात्मिक नगरी है। पीताम्बरा पीठ को मध्यप्रदेश का छोटा-वृंदावन भी कहा जाता है। यहां साल भर भक्त अपने कार्यों की सिद्धि के लिए यहां आते रहते हैं। सामान्य नागरिक से ज्यादा यहां ऊंची हस्तियां खासकर नेता और उच्च अधिकारी यहां अक्सर देखे जाते हैं। दशम विद्याओं में से दो, माता बगलामुखी औऱ माता धूमावती को समर्पित है। यह दोनों विद्याएं शत्रु नाश और कठिन कार्यों की सिद्धि के लिए जानी जाती है। दतिया धाम के बाहर रहनेवाले निवासी, पीताम्बरा पीठ में घटी तीन चमत्कारी ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में नहीं जानते है। दतिया धाम में बैठी माँ बगलामुखी 

राजा को रंक और रंक को राजा बनाने की शक्ति रखती है।




 

मंगलवार, 18 जुलाई 2023

मां बगलामुखी कौन है?

मां बगलामुखी कौन है?

दशम महाविद्याओं में से अष्टम महाविद्या - माता बगलामुखी है। माता बगलामुखी का वैदिक नाम वल्गामुखी जिसका अर्थ है "लगाम"। इसके अनुरूप माँ को बगला, वलगामुखी, वल्गामुखी, ब्रह्मास्त्र विद्या और पीताम्बरा नामों से पुकारा जाता है। वेदों कि "वल्गा" तंत्र में "बगलामुखी" है। 

माता बगलामुखी अष्टम महाविद्या है और इन्हें मूलतः"स्तम्भनकारी महाविद्या" के रूप में भी जाना जाता है। भगवान नारायण और माता त्रिपुर सुंदरी, दोनों के तेज से निकलने के कारण इनका कुल श्रीकुल है और यह वैष्णव शक्ति है। 


माँ की साधना में पीत रंग सामग्री का प्रयोग अति आवश्यक है। जिसमे आसन से लेके माँ को चढ़ाया जाने वाला प्रशाद भी पीले रंग का होता है। पीली बाती, पीला चोला, पीला आसन और माता की पीले फूलों की माला। माता को हल्दी की माला चढ़ाने से मात अति प्रसन्न होती हैं। 


माँ पीताम्बरा बगलामुखी


माँ पीताम्बरा

___________________________________________________

 

 माता बगलामुखी के तीन चमत्कारिक मंदिर है। पहला मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में, दूसरा पीताम्बरा पीठ, दतिया धाम में माता धूमावती माता का और तीसरा उज्जैन के पास नलखेड़ा, मध्यप्रदेश में। 

यह तीन धाम माता की असीम शक्तियों से लैस हैं। यहां पहुँचने वालों मैं राजा भी होते हैं और रंक भी। यहां माता की सच्चे हृदय से मांगी गई हर इच्छा पूरी होती है। चाहे शत्रु पर विजय हो या मारण, मोहन वशीकरण से मुक्ति पाना। 


हम जानेंगे शाक्त-तंत्र परम्परा में यह मंदिर क्यों इतने गुप्त और रहस्यमयी हैं। इनके पीछे के बनने की कथा  और इनहें स्थापित करने वाले योगीयों के जीवन के रहस्य। 


नलखेड़ा धाम

कांगड़ा धाम


धूमावती माता, दतिया धाम

 

गिरजाबंध हनुमान मंदिर, बिलासपुर, छतीसगढ़

  यूं तो भगवान श्रीराम भक्त हनुमान के देश में कई और विदेशों में कुछ मंदिर है, किंतु भारत के गांवों दराजों में ऐसे मंदिर है जिनकी खबर किसी को...